अभी हाल ही में मैं अपने परिवार की दो शादियों में शामिल होकर आई हूँ. मज़ा आया सच में. सारा परिवार, दूर वाले भी रिश्तेदार और अच्छा खाना और क्या चाहिए मौसम और शादी के मज़े लेने के लिए. एक हफ्ते में मैंने कई सारी रस्मे और रिवाज़ देखे और उनमे शामिल भी हुई. हर रस्म के पहले घर की सारी महिलाएं और लड़कियाँ सज धज कर तैयार हो जाती थी और फिर रस्मो के बीच-बीच में फोटो और सेल्फी सेशन होते रहते थे. जब से ये सेल्फी लेने का चलन शुरू हुआ है कम लोग ही चूकते है अपने सुन्दर और बेदाग सेल्फी लेने से. इन सब रस्मो के चलते मैं भी एक हफ्ते में कम से कम ७-८ बार अलग अलग साड़ियां पहन कर तैयार हुई. थोड़ा मेकअप तो बनता ही है साड़ी के साथ तो वो भी किआ. मैचिंग नकली ज्युलरी और एक अच्छी सी स्माइल चेहरे पर. सुन्दर दिखने के लिए इतना तो किया ही जा सकता है.
इस सज़ने-सवरने के बीच मैंने अपने परिवार की और भी महिलाओ और छोटी लड़कियों की तरफ गौर किआ. सब की सब सुन्दर दिखना चाहती थी. चाहे वो मेरी ५० साल की सासू माँ हो या ४ साल की भतीजी, सबने भरपूर मेहनत की शादी की धूम धाम के बीच सुन्दर दिखने की. घर की बड़ी लड़कियाँ जिनके पास टाइम और आज़ादी दोनों थे, वो पार्लर के दर्शन भी कर आई २-४ बार. और मुझे ये सोच कर बड़ी हंसी आई कि मुल्ला जी की दौड़ मस्जिद तक और हम लड़कियों की पार्लर तक, कभी नहीं रुकने वाली है. खाने के बाद जो सबसे हॉट टॉपिक था शादी की तैयारियों में वो था "शादी के दिन तैयार कैसे होना है?" सब आपस में पूछ रहे थे "तुम क्या पहन रही हो?", "कलर कौन सा है ड्रेस का?", "अरे जूड़ा बनाओगी या कोई और हेयर स्टाइल?" आज की नई लड़कियाँ, उम्र में उनसे थोड़ी सी बड़ी मौसियो, भाभियो और दीदियो को सलाह दे रही थी "तुम ना मेसी बन करवाना." ,"तुम हेयर कट करवा लो कोई नया." और इन सलाहों के बीच एक मौसी यही पूछ रही थी कि "फ्रिंज हेअरकट" क्या है?
"दुनिया की सबसे खूबसूरत कृति स्त्री है" ये तो हम जानते ही है और इस पर इतराते भी है. पर अगर कोई ये कह दे "तुम बेहद खूबसूरत हो" तो हम लड़कियों की मुस्कान के क्या कहने!! ये लाइन तो हम ‘आई लव यू’ से भी ज्यादा बार सुनना पसंद करते हैं. और इस बात को हम जितनी भी बार सुनते हैं, उतना ही खुद को सदा-सर्वदा-सर्वाधिक सुंदर बनाये रखने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लादते भी जाते हैं. मैं भी तो इन्ही के जैसी हूँ. दिल्ली से पूरी तैयारी से गई थी वहाँ. हर साड़ी के मैचिंग की ज्युलरी, कंगन और लिपस्टिक. जब भी कहा जाता तैयार होने के लिए, एक सेट निकल कर पहन लेती. लोगो ने तारीफे भी खूब की "शिप्रा के पास बड़े अच्छे सेट है, एकदम अलग." सुन कर खर्च किये हुए पैसे वसूल लग रहे थे. हम लड़कियों के लिए सजना और उसके बाद अपनी तारीफे सुनना वैसा ही है जैसा पुराने समय में ऋषि मुनि मोक्ष पाने के लिए तपस्या करते थे. पहले थोड़ी परेशानी.. फाउंडेशन सही लगा, अरे लाइनर बिगड़ गया.. अब लो ये लिपस्टिक फ़ैल गई..अरे अरे ये डार्क सर्किल.. और फाइनल टच के बाद जैसे ही किसी ने कहा "बड़ी सुंदर लग रही हो." सारा दर्द और टेंशन छू हो जाता है.
नाओमी वुल्फ ने एक बार कहा था कि लड़कियों की सुंदरता पुरुषों द्वारा फैलाया गया एक भ्रम है. लेकिन हममें से ज्यादातर लड़कियां/महिलाएं इस बात से सहमत नहीं होंगी. हम तो बस सुंदर दिखना चाहती हैं. यह कहना भी शायद गलत नहीं होगा कि होश संभालने के बाद, पूरी जिंदगी में हम सबसे ज्यादा सिर्फ सुंदर और आकर्षक दिखने के बारे में ही सोचती हैं. मैं बचपन से मेकअप के एकदम खिलाफ थी. मेरी छोटी बहन को सजने का शौक था पर मुझे अपनी माँ के जैसे एकदम जीरो दिमाग था उस तरफ. ये सिलसिला शादी तक जारी रहा. शादी की तैयारियों में मेकअप के सामान की कोई जगह नहीं थी. बस एक काजल और २ -३ लिपस्टिक ली थी. ससुराल पहुंची तो मेरी नन्द ने पर्स देखा मेरा और शायद इतनी कम चीजे देख कर उन्हें अजीब लगा हो पर मैं अपने में एकदम खुश थी. जैसी हूँ, ठीक हूँ. फिर जब शादी की फोटोज आना शुरू हुई और दूसरो के शादी के एल्बम देखे तो लगा ये आम नैन नक्श की लड़कियाँ अपसराओं सी सुन्दर दिख रही है मेकअप की वजह से. और मैं बिना मेकअप एकदम बेकार. मेरा भी मन डोल ही गया, मुझे भी सुन्दर दिखने की अहमियत समझ आ गई. देर से शुरुवात की थी तो अभी मेकअप के सारे स्टेप्स नहीं आ पाए है पर जरुरत भर का काम सीख लिया है मैंने यूट्यूब के वीडियो देख कर.
सुंदर दिखने का ख्याल, किसी भी दूसरी चीज से ज्यादा लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ाता है. बहुत सारी लड़कियां/महिलाएं सिर्फ व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं बल्कि अपने काम करते हुए भी सुंदर और स्मार्ट दिखने की जरूरत को महसूस करती हैं. और मैं ये इसलिए जानती हूँ क्यूकी मैं ऑफिस में आने वाली कई लड़कियों के मेकअप को देखते ही रह जाती हूँ. मन ही मन सोचती हूँ कि यहाँ तो सुबह आने से पहले शीशा देखने का भी टाइम नहीं रहता और इन्हे देखो डीटेल मेकअप कर लेती है. जो भी हो, सदा सुंदर दिखने की संभवतः यह इकलौती ऐसी जिम्मेदारी होगी जिसे हम लड़कियां/महिलाएं पूरी ईमानदारी से, बिला क्रम तोड़े, ताउम्र पूरी करते चले जाना चाहती हैं. इसके लिए हम खुद को भूखा रखने, शरीरिक दर्द झेलने ( वैक्सिंग, थ्रेडिंग और ना जाने क्या क्या..) से लेकर अपने बेहद कंजूसी से बचाए गए बहुत सारे पैसे एक झटके में खर्च करने के लिए सोचने में एक मिनट का समय भी नहीं लेतीं. कई बार सुन्दर दिखने के पीछे का कारण और आदर्श कोई और भी होता है जैसे पति, दोस्त या सहेली. पर सच तो ये है सबसे ज्यादा हम लड़कियां/महिलाएं अपने लिए सुंदर दिखना चाहती है. है ना? 'सजना है मुझे सजना के लिए..' से लेकर सजना है मुझे "अपने " लिए..
(पहले प्रकाशित यहाँ : https://www.mycity4kids.com/parenting/cooperation-communication-and-affection-thee-keys-of-parenting/article/sajana-hai-mujhe-apane-lie)इस सज़ने-सवरने के बीच मैंने अपने परिवार की और भी महिलाओ और छोटी लड़कियों की तरफ गौर किआ. सब की सब सुन्दर दिखना चाहती थी. चाहे वो मेरी ५० साल की सासू माँ हो या ४ साल की भतीजी, सबने भरपूर मेहनत की शादी की धूम धाम के बीच सुन्दर दिखने की. घर की बड़ी लड़कियाँ जिनके पास टाइम और आज़ादी दोनों थे, वो पार्लर के दर्शन भी कर आई २-४ बार. और मुझे ये सोच कर बड़ी हंसी आई कि मुल्ला जी की दौड़ मस्जिद तक और हम लड़कियों की पार्लर तक, कभी नहीं रुकने वाली है. खाने के बाद जो सबसे हॉट टॉपिक था शादी की तैयारियों में वो था "शादी के दिन तैयार कैसे होना है?" सब आपस में पूछ रहे थे "तुम क्या पहन रही हो?", "कलर कौन सा है ड्रेस का?", "अरे जूड़ा बनाओगी या कोई और हेयर स्टाइल?" आज की नई लड़कियाँ, उम्र में उनसे थोड़ी सी बड़ी मौसियो, भाभियो और दीदियो को सलाह दे रही थी "तुम ना मेसी बन करवाना." ,"तुम हेयर कट करवा लो कोई नया." और इन सलाहों के बीच एक मौसी यही पूछ रही थी कि "फ्रिंज हेअरकट" क्या है?
"दुनिया की सबसे खूबसूरत कृति स्त्री है" ये तो हम जानते ही है और इस पर इतराते भी है. पर अगर कोई ये कह दे "तुम बेहद खूबसूरत हो" तो हम लड़कियों की मुस्कान के क्या कहने!! ये लाइन तो हम ‘आई लव यू’ से भी ज्यादा बार सुनना पसंद करते हैं. और इस बात को हम जितनी भी बार सुनते हैं, उतना ही खुद को सदा-सर्वदा-सर्वाधिक सुंदर बनाये रखने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लादते भी जाते हैं. मैं भी तो इन्ही के जैसी हूँ. दिल्ली से पूरी तैयारी से गई थी वहाँ. हर साड़ी के मैचिंग की ज्युलरी, कंगन और लिपस्टिक. जब भी कहा जाता तैयार होने के लिए, एक सेट निकल कर पहन लेती. लोगो ने तारीफे भी खूब की "शिप्रा के पास बड़े अच्छे सेट है, एकदम अलग." सुन कर खर्च किये हुए पैसे वसूल लग रहे थे. हम लड़कियों के लिए सजना और उसके बाद अपनी तारीफे सुनना वैसा ही है जैसा पुराने समय में ऋषि मुनि मोक्ष पाने के लिए तपस्या करते थे. पहले थोड़ी परेशानी.. फाउंडेशन सही लगा, अरे लाइनर बिगड़ गया.. अब लो ये लिपस्टिक फ़ैल गई..अरे अरे ये डार्क सर्किल.. और फाइनल टच के बाद जैसे ही किसी ने कहा "बड़ी सुंदर लग रही हो." सारा दर्द और टेंशन छू हो जाता है.
नाओमी वुल्फ ने एक बार कहा था कि लड़कियों की सुंदरता पुरुषों द्वारा फैलाया गया एक भ्रम है. लेकिन हममें से ज्यादातर लड़कियां/महिलाएं इस बात से सहमत नहीं होंगी. हम तो बस सुंदर दिखना चाहती हैं. यह कहना भी शायद गलत नहीं होगा कि होश संभालने के बाद, पूरी जिंदगी में हम सबसे ज्यादा सिर्फ सुंदर और आकर्षक दिखने के बारे में ही सोचती हैं. मैं बचपन से मेकअप के एकदम खिलाफ थी. मेरी छोटी बहन को सजने का शौक था पर मुझे अपनी माँ के जैसे एकदम जीरो दिमाग था उस तरफ. ये सिलसिला शादी तक जारी रहा. शादी की तैयारियों में मेकअप के सामान की कोई जगह नहीं थी. बस एक काजल और २ -३ लिपस्टिक ली थी. ससुराल पहुंची तो मेरी नन्द ने पर्स देखा मेरा और शायद इतनी कम चीजे देख कर उन्हें अजीब लगा हो पर मैं अपने में एकदम खुश थी. जैसी हूँ, ठीक हूँ. फिर जब शादी की फोटोज आना शुरू हुई और दूसरो के शादी के एल्बम देखे तो लगा ये आम नैन नक्श की लड़कियाँ अपसराओं सी सुन्दर दिख रही है मेकअप की वजह से. और मैं बिना मेकअप एकदम बेकार. मेरा भी मन डोल ही गया, मुझे भी सुन्दर दिखने की अहमियत समझ आ गई. देर से शुरुवात की थी तो अभी मेकअप के सारे स्टेप्स नहीं आ पाए है पर जरुरत भर का काम सीख लिया है मैंने यूट्यूब के वीडियो देख कर.
सुंदर दिखने का ख्याल, किसी भी दूसरी चीज से ज्यादा लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ाता है. बहुत सारी लड़कियां/महिलाएं सिर्फ व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं बल्कि अपने काम करते हुए भी सुंदर और स्मार्ट दिखने की जरूरत को महसूस करती हैं. और मैं ये इसलिए जानती हूँ क्यूकी मैं ऑफिस में आने वाली कई लड़कियों के मेकअप को देखते ही रह जाती हूँ. मन ही मन सोचती हूँ कि यहाँ तो सुबह आने से पहले शीशा देखने का भी टाइम नहीं रहता और इन्हे देखो डीटेल मेकअप कर लेती है. जो भी हो, सदा सुंदर दिखने की संभवतः यह इकलौती ऐसी जिम्मेदारी होगी जिसे हम लड़कियां/महिलाएं पूरी ईमानदारी से, बिला क्रम तोड़े, ताउम्र पूरी करते चले जाना चाहती हैं. इसके लिए हम खुद को भूखा रखने, शरीरिक दर्द झेलने ( वैक्सिंग, थ्रेडिंग और ना जाने क्या क्या..) से लेकर अपने बेहद कंजूसी से बचाए गए बहुत सारे पैसे एक झटके में खर्च करने के लिए सोचने में एक मिनट का समय भी नहीं लेतीं. कई बार सुन्दर दिखने के पीछे का कारण और आदर्श कोई और भी होता है जैसे पति, दोस्त या सहेली. पर सच तो ये है सबसे ज्यादा हम लड़कियां/महिलाएं अपने लिए सुंदर दिखना चाहती है. है ना? 'सजना है मुझे सजना के लिए..' से लेकर सजना है मुझे "अपने " लिए..
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