आजकल शादियों का सीजन चल रहा है. जहाँ देखो किसी ना किसी की शादी हो रही है. मेरे अपने ही परिवार में दो बेटियों की शादियाँ है इसी हफ्ते. ऑफिस में भी शादियों के निमंत्रण मिल रहे है. पर ऐसे ही मेरे दिमाग में ख्याल आया कि जब शादी जी का जंजाल है और हर शादीशुदा आदमी (ज्यादातर) और औरत यही कहती है कि शादी का लडडू ना खाया जा पा रहा है और ना निगला फिर अगला हर कोई शादी के लिए क्यों तैयार हो जाता है? ख़ुशी ख़ुशी शादी करने वाले बाद में एक दूसरे की कमियां निकालने में ज्यादा समय लगाते है. और बीच-बीच में वो अपना संजीदा डायलॉग भी बोल देते है एक दूसरे को "तुमसे शादी करके जिंदगी की सबसे बड़ी गलती की है मैंने.."
अब लोग शादी क्यों करते है इसके पीछे कई कारण हो सकते है. कुछ प्यार में अंधे होकर शादी करते है. कुछ समाज और घर वालो के दबाव में कर डालते है. कुछ ऐसे भी है जो दहेज़ के लालच में शादी का लडडू निगल लेते है और बाकी बचे लोगो को सुधारने के लिए उनके घर वाले किसी और के मत्थे मढ़ देते है मतलब शादी करा देते है कही. आम तौर पर लोग समाज और घर वालो के दबाव में शादी करते है और फिर जब भी शादी के बाद झगड़ा होता है लड़का अपने घर वालो पर इल्जाम देने लगता है "पता नहीं कैसी लड़की से शादी करवा दी मेरी..". लव मैरिज में लड़कियाँ बिना मौका गवाय तंज़ कस देती है "मैं ना करती शादी तुमसे तो कही होती भी नहीं.." या फिर "मुझसे अच्छी लड़की तुम्हे मिलती भी ना.." सुधरने के लिए जो लड़के शादी करते है वो सुधरते बाद में है पापा पहले बन जाते है. पत्नी की जिम्मेदारी उठाना मुश्किल होता है उनके लिए, उस पर वो एक और नंबर बढ़ा लेते है सुधारने वालो की लिस्ट में. अब बच्चे भी माँ बाप को सुधारते ही तो है. देर से सो कर उठने वाले जल्दी उठने लगते है, कही स्कूल की बस ना चली जाए. रोज खाने ने नई नई चीजे डिमांड करके वाले चुप चाप रोटी सब्ज़ी खा लेते है, बच्चे डिमांडिंग हो गए तो लुटना पक्का है. और हमेशा सज धज कर रहने वाली लड़कियाँ मैले कुचैले कपड़ो में बिना मेकअप बच्चे सुलाती दिखाई देती है. जिंदगी की सच्चाई से सामना करवा देते है बच्चे, है ना..
खैर अगर आपकी शादी हो चुकी है तो मैं आपके सुखी और शांतिमय जीवन की कामना करती हूँ. पर अगर जल्द ही आप शादी का लड्डू खाने वाले हैं तो एक खुशखबरी हैं मेरे पास आपके. ऐसा कहा जा रहा है कि ज़िंदगी के तनावों से मुक्ति पाने के लिए शादी से अच्छी कोई दवाई नहीं! वैसे ये मैं नहीं कह रही, साइंस ने इस बात की गड़ना की है. एक स्टडी के अनुसार सिंगल लोगों की अपेक्षा शादीशुदा लोग कम तनाव में होते हैं. इसके पीछे प्रमुख कारण शरीर में कॉर्टिसोल का कम होना है. कॉर्टिसोल को स्ट्रेस हॉर्मोन भी कहा जाता है. ये पाया गया कि तलाकशुदा या विधवा/विधुर लोगों की तुलना में विवाहित जोड़ों में तनाव तो कम होता ही है साथ ही ये ज्यादा स्वस्थ भी होते हैं. है ना बढ़िया बात! इसी स्टडी में ये देखा गया कि विवाहित लोगों की तुलना में अविवाहित लोग मनोवैज्ञानिक तनाव में ज्यादा जल्दी आ जाते है. ज्यादा तनाव मतलब कॉर्टिसोल हार्मोन का बढ़ना और इसका मतलब बीमारियों को निमंत्रण.
एक और मज़ेदार बात, जब अपने देश में इस स्टडी के आधार पर सर्वे हुआ को ज्यादातर विवाहित लोगो ने माना कि शादी के बाद उनका तनाव कम हो गया है. किसी समझदार ने कहा 'पहले जब टेंशन होती थी तो मुझे अकेले डील करना पड़ता था लेकिन वहीं शादी के बाद अब हम दो लोग मिलकर उस तनाव का सामना करते हैं. इससे तनाव खुद ही कम हो जाता है.' आश्चर्यजनक है ये पर सत्य है. अपने देश में भी शादीशुदा लोग ज्यादा खुश है. जब मैंने अपने पतिदेव से पूछा कि आप शादी से पहले ज्यादा तनाव में आते थे या शादी के बाद तो उन्होंने जलेबी जैसा जवाब दिया. वो बोले "जब जिम्मेदारियों का एहसास होता है तो तनाव महसूस होता है अब ..शादी से पहले तो बस नौकरी का तनाव था बाकी तो सब ठीक ही था तब.." अब लो.. ऐसी बातें ही मुझे ये स्टडी, रिसर्च और सर्वे पर विश्वास नहीं करने देती. एक ऐसा शादीशुदा आदमी जिसके पास रोटी, कपड़ा और मकान तीनो है. भरा पूरा परिवार है, अच्छे दोस्त यार है और अच्छी नौकरी है वो ये कहने में कतरा रहा है "जिंदगी गुलज़ार है.." लेकिन चाहे जो भी हो, मुझे तो यही लगता है कि शादी के लड्डू खाने के बाद पछताने की नौबत नहीं आती बल्कि जीवन का स्वाद बढ़ जाता है. आपको क्या लगता है?
पहले प्रकाशित यहाँ https://www.mycity4kids.com/parenting/cooperation-communication-and-affection-thee-keys-of-parenting/article/shadi-karana-phayadema-nda-hai-ya-nukasanadayaka
अब लोग शादी क्यों करते है इसके पीछे कई कारण हो सकते है. कुछ प्यार में अंधे होकर शादी करते है. कुछ समाज और घर वालो के दबाव में कर डालते है. कुछ ऐसे भी है जो दहेज़ के लालच में शादी का लडडू निगल लेते है और बाकी बचे लोगो को सुधारने के लिए उनके घर वाले किसी और के मत्थे मढ़ देते है मतलब शादी करा देते है कही. आम तौर पर लोग समाज और घर वालो के दबाव में शादी करते है और फिर जब भी शादी के बाद झगड़ा होता है लड़का अपने घर वालो पर इल्जाम देने लगता है "पता नहीं कैसी लड़की से शादी करवा दी मेरी..". लव मैरिज में लड़कियाँ बिना मौका गवाय तंज़ कस देती है "मैं ना करती शादी तुमसे तो कही होती भी नहीं.." या फिर "मुझसे अच्छी लड़की तुम्हे मिलती भी ना.." सुधरने के लिए जो लड़के शादी करते है वो सुधरते बाद में है पापा पहले बन जाते है. पत्नी की जिम्मेदारी उठाना मुश्किल होता है उनके लिए, उस पर वो एक और नंबर बढ़ा लेते है सुधारने वालो की लिस्ट में. अब बच्चे भी माँ बाप को सुधारते ही तो है. देर से सो कर उठने वाले जल्दी उठने लगते है, कही स्कूल की बस ना चली जाए. रोज खाने ने नई नई चीजे डिमांड करके वाले चुप चाप रोटी सब्ज़ी खा लेते है, बच्चे डिमांडिंग हो गए तो लुटना पक्का है. और हमेशा सज धज कर रहने वाली लड़कियाँ मैले कुचैले कपड़ो में बिना मेकअप बच्चे सुलाती दिखाई देती है. जिंदगी की सच्चाई से सामना करवा देते है बच्चे, है ना..
खैर अगर आपकी शादी हो चुकी है तो मैं आपके सुखी और शांतिमय जीवन की कामना करती हूँ. पर अगर जल्द ही आप शादी का लड्डू खाने वाले हैं तो एक खुशखबरी हैं मेरे पास आपके. ऐसा कहा जा रहा है कि ज़िंदगी के तनावों से मुक्ति पाने के लिए शादी से अच्छी कोई दवाई नहीं! वैसे ये मैं नहीं कह रही, साइंस ने इस बात की गड़ना की है. एक स्टडी के अनुसार सिंगल लोगों की अपेक्षा शादीशुदा लोग कम तनाव में होते हैं. इसके पीछे प्रमुख कारण शरीर में कॉर्टिसोल का कम होना है. कॉर्टिसोल को स्ट्रेस हॉर्मोन भी कहा जाता है. ये पाया गया कि तलाकशुदा या विधवा/विधुर लोगों की तुलना में विवाहित जोड़ों में तनाव तो कम होता ही है साथ ही ये ज्यादा स्वस्थ भी होते हैं. है ना बढ़िया बात! इसी स्टडी में ये देखा गया कि विवाहित लोगों की तुलना में अविवाहित लोग मनोवैज्ञानिक तनाव में ज्यादा जल्दी आ जाते है. ज्यादा तनाव मतलब कॉर्टिसोल हार्मोन का बढ़ना और इसका मतलब बीमारियों को निमंत्रण.
एक और मज़ेदार बात, जब अपने देश में इस स्टडी के आधार पर सर्वे हुआ को ज्यादातर विवाहित लोगो ने माना कि शादी के बाद उनका तनाव कम हो गया है. किसी समझदार ने कहा 'पहले जब टेंशन होती थी तो मुझे अकेले डील करना पड़ता था लेकिन वहीं शादी के बाद अब हम दो लोग मिलकर उस तनाव का सामना करते हैं. इससे तनाव खुद ही कम हो जाता है.' आश्चर्यजनक है ये पर सत्य है. अपने देश में भी शादीशुदा लोग ज्यादा खुश है. जब मैंने अपने पतिदेव से पूछा कि आप शादी से पहले ज्यादा तनाव में आते थे या शादी के बाद तो उन्होंने जलेबी जैसा जवाब दिया. वो बोले "जब जिम्मेदारियों का एहसास होता है तो तनाव महसूस होता है अब ..शादी से पहले तो बस नौकरी का तनाव था बाकी तो सब ठीक ही था तब.." अब लो.. ऐसी बातें ही मुझे ये स्टडी, रिसर्च और सर्वे पर विश्वास नहीं करने देती. एक ऐसा शादीशुदा आदमी जिसके पास रोटी, कपड़ा और मकान तीनो है. भरा पूरा परिवार है, अच्छे दोस्त यार है और अच्छी नौकरी है वो ये कहने में कतरा रहा है "जिंदगी गुलज़ार है.." लेकिन चाहे जो भी हो, मुझे तो यही लगता है कि शादी के लड्डू खाने के बाद पछताने की नौबत नहीं आती बल्कि जीवन का स्वाद बढ़ जाता है. आपको क्या लगता है?
पहले प्रकाशित यहाँ https://www.mycity4kids.com/parenting/cooperation-communication-and-affection-thee-keys-of-parenting/article/shadi-karana-phayadema-nda-hai-ya-nukasanadayaka
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