क्या जमाना आ गया है.अभी कुछ दिनों पहले पता चला कि लहसुन पर मुकदमा ठोक दिया गया है. जरा सोच कर देखिये ये सुंदर सा लहसुन क्या गुनाह कर गया कि उस पर मुकदमा चला दिया.
जज साहब, लहसुन से "लहसुन कठघरे में आओ."
लहसुन "जी माई-बाप.पर हम किये क्या है?"
जज साहब " ये तो सही से मुझे भी नहीं पता अभी पर कुछ लोगो को तुमसे परेशानी है."
लहसुन "अच्छा.पर हम तो कुछ किये ही नहीं.सदियों से ऐसे ही है. कुछ भी बदले नहीं है रंग ढंग में. "
जज साहब "वो तो ठीक है पर अब मुकदमा तो चलेगा ही.फिर देखते है तुमने क्या किया है."
हुआ यूं कि एक विवाद को लेकर जोधपुर के आलू-प्याज़ और लहसुन विक्रेता संघ ने राजस्थान हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका में उहोंने पूछा है कि आखिर लहसुन को अनाज मंडी में क्यों बेचें? दरअसल, राजस्थान सरकार के 2016 के नए कानून के मुताबिक लहसुन को अनाज मंडी में बेचा जाना चाहिए. लेकिन 2016 से पहले तक इसे सब्ज़ी मंडी में बेचा जाता था. सब्ज़ी मंडी में बेचने पर बिचौलिए छह प्रतिशत कमीशन देते हैं लेकिन अनाज मंडी में बिचौलिए केवल दो फीसदी कमीशन देते हैं. यही लहसुन बेचने वालों की परेशानी की वजह है.
पूरा मामला सुन कर जज साहब ने लहसुन से पूछा "तो बताओ, तुम सब्ज़ी हो कि मसाला?"
लहसुन "माई-बाप, इसके बारे में तो हम कभी सोचे ही नहीं.५००० साल की उम्र हो रही है हमारी.सदियों से लोग खा रहे है और हम तो इसी में खुश थे.अब खाने वाले कैसे खाते है ई हम जान कर क्या करते? सो हम पूरी ईमानदारी से अपना काम कर रहे है."
जज साहब "हम्म.अब तुम्हे नहीं पता कि तुम सब्ज़ी हो कि मसाला तो किसी और से पूछना पड़ेगा."
इसलिए राजस्थान हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि लहसुन सब्जी है या मसाला. राजस्थान सरकार के मुताबिक सब्ज़ी मंडी में जगह की कमी की वजह से सरकार ने 2016 में कानून में बदलाव करके लहसुन को अनाज मंडी में बेचने का प्रवाधान किया था. अब नई परेशानी ये है कि सब्जी के रूप में लहसुन को बेचा जाये तो उस पर जीएसटी नहीं लगता और मसाले के रूप में बेचा जाए तो जीएसटी लगता है. इसलिए जनहित याचिका से ये तय करने की कोशिश की गई कि लहसुन पर जीएसटी लगेगा या नहीं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में वेजिटेबल साइंटिस्ट डॉ प्रीतम कालिया के मुताबिक, लहसुन मूलत: सब्ज़ी है लेकिन इसका इस्तेमाल मसाले के तौर पर भी किया जाता है. आज कल जहा देखो लहसुन को पाउडर के जैसे इस्तेमाल करते है और इसी वजह से अब ये मसालों में गिना जाने लगा. वैसे लहसुन है बड़ा गुणकारी..इसमें कई पोषक तत्व होते हैं जिनकी शरीर में बहुत कम मात्रा में जरूरत होती है, लेकिन शरीर में उन तत्वों की कमी होने पर गंभीर रोग हो सकते हैं. लहसुन में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल सभी गुण होते हैं. लहसुन एक नैचुरल ब्लड थिनर है यानी एक ख़ून को पतला करता है. इसलिए जिन लोगों को कोलोस्ट्रोल या हृदय की धमनियों में रुकावट की समस्या है उनके लिए लहसुन बहुत लाभकारी है. इसलिए हमे लहसुन को किसी न किसी तरह अपने खाने में जरूर शामिल करना चाहिए.वैसे कई लोगी को लहसुन की गंध से परेशानी होती है. इसमें सल्फर होता है जो लहसुन खाते ही खून में मिल जाता है जिससे सांस में लहसुन की गंध आने लगती है. पर और चीजों के साथ मिलाकर खाने से लहसुन की गंध कम हो जाती है.
हमारे यहाँ तो लहसुन को सर्दी जुकाम का राम बाड़ इलाज मानते है. सरसो के तेल में लहसुन की कलियाँ डाल कर तेल को खूब खोला लेते है. फिर उसे थोड़ा ठंडा करके उसकी मालिश पैर के तलवो, छाती और पीठ पर रात में करने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है. खासकर छोटे बच्चो को दवा की जगह यही इलाज मिलता है सर्दी जुकाम होने पर. इसके अलावा लहसुन की तेज़ गंध बंद नाक को भी खोल देती है. बच्चो को लहसुन की कलियों की माला पहना देते है सोते समय. बंद नाक खुल जाती है और बच्चे चैन की नींद ले पाते है फिर.
पर ये मज़ेदार ही रहा कि अदालत में ये फैसला हो कि लहसुन सब्ज़ी है या मसाला. वैसे कुछ समय पहले किसी ने भगवान राम के खिलाफ भी एक मुकदमे कि अर्ज़ी दी थी. शुक्र है कि अदालत ने सुनवाई से मना कर दिया.
जज साहब, लहसुन से "लहसुन कठघरे में आओ."
लहसुन "जी माई-बाप.पर हम किये क्या है?"
जज साहब " ये तो सही से मुझे भी नहीं पता अभी पर कुछ लोगो को तुमसे परेशानी है."
लहसुन "अच्छा.पर हम तो कुछ किये ही नहीं.सदियों से ऐसे ही है. कुछ भी बदले नहीं है रंग ढंग में. "
जज साहब "वो तो ठीक है पर अब मुकदमा तो चलेगा ही.फिर देखते है तुमने क्या किया है."
हुआ यूं कि एक विवाद को लेकर जोधपुर के आलू-प्याज़ और लहसुन विक्रेता संघ ने राजस्थान हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. याचिका में उहोंने पूछा है कि आखिर लहसुन को अनाज मंडी में क्यों बेचें? दरअसल, राजस्थान सरकार के 2016 के नए कानून के मुताबिक लहसुन को अनाज मंडी में बेचा जाना चाहिए. लेकिन 2016 से पहले तक इसे सब्ज़ी मंडी में बेचा जाता था. सब्ज़ी मंडी में बेचने पर बिचौलिए छह प्रतिशत कमीशन देते हैं लेकिन अनाज मंडी में बिचौलिए केवल दो फीसदी कमीशन देते हैं. यही लहसुन बेचने वालों की परेशानी की वजह है.
पूरा मामला सुन कर जज साहब ने लहसुन से पूछा "तो बताओ, तुम सब्ज़ी हो कि मसाला?"
लहसुन "माई-बाप, इसके बारे में तो हम कभी सोचे ही नहीं.५००० साल की उम्र हो रही है हमारी.सदियों से लोग खा रहे है और हम तो इसी में खुश थे.अब खाने वाले कैसे खाते है ई हम जान कर क्या करते? सो हम पूरी ईमानदारी से अपना काम कर रहे है."
जज साहब "हम्म.अब तुम्हे नहीं पता कि तुम सब्ज़ी हो कि मसाला तो किसी और से पूछना पड़ेगा."
इसलिए राजस्थान हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि लहसुन सब्जी है या मसाला. राजस्थान सरकार के मुताबिक सब्ज़ी मंडी में जगह की कमी की वजह से सरकार ने 2016 में कानून में बदलाव करके लहसुन को अनाज मंडी में बेचने का प्रवाधान किया था. अब नई परेशानी ये है कि सब्जी के रूप में लहसुन को बेचा जाये तो उस पर जीएसटी नहीं लगता और मसाले के रूप में बेचा जाए तो जीएसटी लगता है. इसलिए जनहित याचिका से ये तय करने की कोशिश की गई कि लहसुन पर जीएसटी लगेगा या नहीं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में वेजिटेबल साइंटिस्ट डॉ प्रीतम कालिया के मुताबिक, लहसुन मूलत: सब्ज़ी है लेकिन इसका इस्तेमाल मसाले के तौर पर भी किया जाता है. आज कल जहा देखो लहसुन को पाउडर के जैसे इस्तेमाल करते है और इसी वजह से अब ये मसालों में गिना जाने लगा. वैसे लहसुन है बड़ा गुणकारी..इसमें कई पोषक तत्व होते हैं जिनकी शरीर में बहुत कम मात्रा में जरूरत होती है, लेकिन शरीर में उन तत्वों की कमी होने पर गंभीर रोग हो सकते हैं. लहसुन में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल सभी गुण होते हैं. लहसुन एक नैचुरल ब्लड थिनर है यानी एक ख़ून को पतला करता है. इसलिए जिन लोगों को कोलोस्ट्रोल या हृदय की धमनियों में रुकावट की समस्या है उनके लिए लहसुन बहुत लाभकारी है. इसलिए हमे लहसुन को किसी न किसी तरह अपने खाने में जरूर शामिल करना चाहिए.वैसे कई लोगी को लहसुन की गंध से परेशानी होती है. इसमें सल्फर होता है जो लहसुन खाते ही खून में मिल जाता है जिससे सांस में लहसुन की गंध आने लगती है. पर और चीजों के साथ मिलाकर खाने से लहसुन की गंध कम हो जाती है.
हमारे यहाँ तो लहसुन को सर्दी जुकाम का राम बाड़ इलाज मानते है. सरसो के तेल में लहसुन की कलियाँ डाल कर तेल को खूब खोला लेते है. फिर उसे थोड़ा ठंडा करके उसकी मालिश पैर के तलवो, छाती और पीठ पर रात में करने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है. खासकर छोटे बच्चो को दवा की जगह यही इलाज मिलता है सर्दी जुकाम होने पर. इसके अलावा लहसुन की तेज़ गंध बंद नाक को भी खोल देती है. बच्चो को लहसुन की कलियों की माला पहना देते है सोते समय. बंद नाक खुल जाती है और बच्चे चैन की नींद ले पाते है फिर.
पर ये मज़ेदार ही रहा कि अदालत में ये फैसला हो कि लहसुन सब्ज़ी है या मसाला. वैसे कुछ समय पहले किसी ने भगवान राम के खिलाफ भी एक मुकदमे कि अर्ज़ी दी थी. शुक्र है कि अदालत ने सुनवाई से मना कर दिया.
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