अरे याद है ना.. हर साल की तरह वो प्यार का त्यौहार फिर से आ गया.. अच्छा तो आप कंफ्यूज हो गई कि ये वैलेंटाइन डे तो कब का जा चुका अब किस प्यार के त्यौहार कि बात करने लगी मैं.. बताती हूँ बताती हूँ.. अपनी हिन्दू सभ्यता में भी एक प्यार का त्यौहार होता है "करवा चौथ.."अहा, क्या उत्सव है प्रेम का. पहले प्रेम मिश्रित सेवा फिर सेवा के बदले प्रेम मिश्रित उपहार. वाह..
बाजार पट गए है डिज़ाइनर चमकदार छलनी से लेकर गोटे लगी थालियों से और होने भी चाहिए. आखिर इस कदर महान संस्कृति जिसमें पति को देवता मान कर, उनके लिए दिन भर भूखे प्यासे रहकर पत्नियां व्रत करती हैं, उनकी उम्र बढ़ाने जैसा ईश्वरीय कार्य करती हैं, उस दैवीय व्रत का इतना उत्सव तो होना ही चाहिए. और याद रहे चरणस्पर्श करना एकदम जरूरी है व्रत के नियमो के हिसाब से नहीं तो पति की उम्र से छेड़ छाड़ हो सकती है. समझ नहीं आता इतना ज्ञान आया कहा से हमारे पूर्वजो में जिससे ये पता चला कि अगर पत्नी दिन भर भूखे प्यासे रहकर चाँद की पूजा करे तो पति की उम्र साल दर साल बढ़ती जाती है? वैसे धन्य है भारतीय महिलाये. पति चाहे शराबी, जुवारी कबाबी कैसा भी हो, पतियों की उम्र बढाए जा रही हैं साल दर साल. मज़ाल है कि कुछ खा ले व्रत के दिन..और कोई अगर खाना भी चाहे तो घर की बड़ी बुढ़िया एकदम नज़र लगाए रहती है कि कही चुपचाप कुछ मसक तो नहीं रही रसोई में. सारा दिन व्यंजन बनाओ और शाम को मुरझाए फूल के जैसे चाँद निकलने का इंतज़ार करो. फिर चाँद के निकलते ही ऐसे ख़ुशी कि पूछो मत. ऐसा लगता है मानो एक्स्ट्रा उम्र वाला रिचार्ज सक्सेसफुल रहा.
देखिये,अपनी संस्कृति पर ज्यादा शंका नहीं करनी चाहिए. जब कह दिया कि इस व्रत को करने से पति की उम्र बढ़ती है तो बढ़ती ही होगी. बड़ी से बड़ी डिग्री लिए हमारी सखिया व्रत की रंग बिरंगी किताब से कहानी पढ़ कर हर साल अपने पतियों की उम्र बढ़ा ही रही है. और आज कल के पति भी एहसान फरामोश नहीं है जरा भी. काम के बदले मुंहमांगी कीमत देने को तैयार रहते है. कई सालो से फेसबुक पर देखती हूँ करवा चौथ स्पेशल स्टेटस "Got new phone on this Karwa Chauth" इतनी भयंकर मुहब्बत कि मंहगे मंहगे गिफ्ट करवाचौथ पर लाकर देते है आज के पति और गिफ्ट को छोडो, व्रत की रात में सबसे सुंदर दिखने को मरी जातीं पत्नियों को हज़ारों की शॉपिंग भी करवाते है.
ये अपनी व्रत-उपवास और आरती की पतली पतली किताबो में भरे मोटे मोटे ज्ञान को मैं भी कई सालो से समझने कि कोशिश कर रही हूँ. पर मेरे मन में कुछ सवाल हैं.. हम पत्नियाँ हर साल व्रत करके अपने पति की उम्र तो बढ़ाते जा रहे है पर अपनी उम्र का क्या सहेलियों? हमारी तो उतनी ही रहेगी ना जितनी भगवान् ने शुरुवात में ही लिख दी थी खाते में. तो बुढ़ापे में हमारे पतियों का साथ कौन देगा? दूसरी तो मिलेगी नहीं तब. अब बच्चो से ज्यादा उम्मीद रखना तो बेकार है. पर अगर हमारे पति लम्बा जिए और ईश्वर से यही कामना है की ९० १०० तक जाए तो इतनी देर तक उनका हमसफ़र कौन बनेगा? हम तो टाइम से निकल लेंगे पर हमारे पीछे से पतियों पर नज़र कौन रखेगा? हम पत्नियों की उम्र कौन बढ़वाएगा? हमे भी तो ज्यादा जीने का मौका मिलना चाहिए.
तो अगर अपनी संस्कृति में कोई संसोधन हो सकता हो तो उसकी कोशिश करो सखियों. अपने लिए भी एक व्रत का प्रस्ताव दो जो हम पत्नियों की उम्र बढ़ाए. अच्छा, जरा सोच समझ कर काम लेना. कही ऐसा ना हो कि ऐसा कोई व्रत बन जाए जिसमे हमे ही फिर से भूखा प्यासा रहना पड़े अपनी ही उम्र बढ़वाने के लिए. ज़ोर देना कि ये संसोधन पतियों को व्रत करने के लिए कहे. चाहे वो पैर छूने वाला क्लॉज़ ना हो.. पर पति भी एक दिन के लिए व्रत करे. बदले में हम भी खाने में छप्पन भोग बना देंगे उनके लिए. और खुश हो गए तो अपने हाथो से खाना भी खिला देंगे उनको. दस बीस साल हम भी एक्सट्रा जी लेंगे तब. बोलो कैसा ख्याल है?
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