मैं जब स्कूल में थी तब एक अच्छी दोस्त रूपल के घर मनाया जाता था छठ पर्व. हम सारे दोस्त दिवाली के लिए नए कपडे लेते थे और रूपल बताती थी की छठ के लिए लायी है नए कपडे. हमारे घर दिवाली लाइट और जगमग भाईदूज तक रहती थी पर रूपल के घर लाइट छठ पर्व तक लगी रहती थी. एक तरह से जितना उत्साहित हम दिवाली को लेकर रहते थे रूपल उतना ही उत्साहित छठ के लिए रहती थी. मेरी खास दोस्त थी तो मेरा में छठ पर्व को लेकर उत्साह बन जाता था. दो तीन बार तो मैं उसके साथ सुबह सुबह पूजा देखने भी गयी. खैर, तब बस इतना समझा आता था कि बड़ी पूजा है, सारी आंटिया पानी में जाकर पूजा करती है और बड़े सारे फल मिठाईया प्रसाद मिलता है.
कई बार तो यूं भी लगता था कि ये कुछ अलग जगह के लोगो का त्यौहार है हमारा नहीं. पर ये सारी धारणाये तब बदल गयी जब मैंने शादी के बाद अपने ही घर में छठ का पूजन होते देखा. सैयोग से मेरी शादी ऐसे परिवार में हुई जहा छठ के व्रत की बड़ी श्रद्धा है. मैंने देखा कितनी आस्था और विश्वास जुड़ा है लोगो का इस पूजा से, और अपने ही सामने लोगो की मनोकामनाएं पूरी होते देखी तो मेरे हाथ भी आस्था से जुड़ गए. इतनी तैयारियां सिर्फ एक अटूट विश्वास है लोगो का जो छठ माता से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए व्रत और पूजन करते है और फिर अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद हर साल उतनी ही आस्था से छठ माता के प्रति अपनी श्रद्धा समर्पित करते हैं.
मान्यताओं के अनुसार तीन दिन का होता है छठ पर्व. पहले दिन शाम को व्रत शुरू करने के साथ दूसरे दिन पूरी तरह से निर्जल व्रत किया जाता है और तीसरे दिन सुबह उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है व्रत पूर्ण. इन तीन दिनों में इतनी धूम धाम रहती है की पर्व कि समाप्ति पर कुछ सूना सूना सा लगता है जैसे दुल्हन की विदाई के बाद घर सूना हो जाता है. व्रत रखने वाली महिला को 'परवैतिन' कहा जाता है. व्रती को भोजन के साथ ही बिस्तर पर सोने का भी त्याग करना पड़ता है. ये एक ध्यान देने वाली बात है कि इस व्रत में पुरुषो की भी भागेदारी रहती है.
कई बार तो यूं भी लगता था कि ये कुछ अलग जगह के लोगो का त्यौहार है हमारा नहीं. पर ये सारी धारणाये तब बदल गयी जब मैंने शादी के बाद अपने ही घर में छठ का पूजन होते देखा. सैयोग से मेरी शादी ऐसे परिवार में हुई जहा छठ के व्रत की बड़ी श्रद्धा है. मैंने देखा कितनी आस्था और विश्वास जुड़ा है लोगो का इस पूजा से, और अपने ही सामने लोगो की मनोकामनाएं पूरी होते देखी तो मेरे हाथ भी आस्था से जुड़ गए. इतनी तैयारियां सिर्फ एक अटूट विश्वास है लोगो का जो छठ माता से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए व्रत और पूजन करते है और फिर अपनी मनोकामना पूरी होने के बाद हर साल उतनी ही आस्था से छठ माता के प्रति अपनी श्रद्धा समर्पित करते हैं.
मान्यताओं के अनुसार तीन दिन का होता है छठ पर्व. पहले दिन शाम को व्रत शुरू करने के साथ दूसरे दिन पूरी तरह से निर्जल व्रत किया जाता है और तीसरे दिन सुबह उदय होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है व्रत पूर्ण. इन तीन दिनों में इतनी धूम धाम रहती है की पर्व कि समाप्ति पर कुछ सूना सूना सा लगता है जैसे दुल्हन की विदाई के बाद घर सूना हो जाता है. व्रत रखने वाली महिला को 'परवैतिन' कहा जाता है. व्रती को भोजन के साथ ही बिस्तर पर सोने का भी त्याग करना पड़ता है. ये एक ध्यान देने वाली बात है कि इस व्रत में पुरुषो की भी भागेदारी रहती है.
कहा जाता है की छठ माता सूर्य भगवान की संगिनी उषा को समर्पित पर्व है हालांकि हम माँ उषा को किसी अलग देवी के रूप में नहीं पूजते न ही उनकी अलग कोई प्रतिमा है तो सूर्योदय की प्रथम किरण को ही माँ उषा माना जाता है. हिन्दू
मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव पराक्रम, शौर्य,
ओज, तेज और हर तहर के अंधकार का विनाशक माने जाते है. इस तरह अपने उपासको को भी सूर्य
देव इन्ही शक्तियों का वरदान प्रदान करते है. हालांकि ज्यादातर छठ पर्व मानाने वाले
इसे संतान की प्राप्ति और संतान की समृद्धि से जोड़कर देखते है. कुछ लोगो का ये भी मानना
है कि आने वाले दिनों में जब सूर्य की गर्मी कम हो जाएगी और मौसम सर्दियों का होगा
तो इस दिन सूर्य देव को समर्पित अर्घ्य हमारे अंदर तेज और पराक्रम को क्षीण होने से बचाता है. सूर्य को समर्पित इस व्रत की बड़ी महत्ता है और आज कल ये और बढ़ती जा रही है. बाकी सारे त्योहारों के जैसे थोड़ा बहुत कमर्सिअलिज़ेशन इसका भी हुआ है पर एक आम घर में इस व्रत तो अभी भी उसी आस्था के साथ किआ जाता है.
श्रद्धालुओं की इस पवित्र पर्व में आस्था की वजह वजह चाहे जो भी हो, पूरी आस्था के साथ किये जाने वाला ये कठिन व्रत और इतनी धूम धाम का अपने आप में अनोखी है. मैं ने व्रत तो नहीं किया पर शाम और सुबह विश्वास के सूर्य को नमन ज़रूर करती हूँ .
बड़ी मशहूर गायिका है शारदा सिन्हा जिनके गानों के बिना छठ का पर्व अधूरा है.. ये गाना सुनिए,आपको भावुक ज़रूर करेगा
श्रद्धालुओं की इस पवित्र पर्व में आस्था की वजह वजह चाहे जो भी हो, पूरी आस्था के साथ किये जाने वाला ये कठिन व्रत और इतनी धूम धाम का अपने आप में अनोखी है. मैं ने व्रत तो नहीं किया पर शाम और सुबह विश्वास के सूर्य को नमन ज़रूर करती हूँ .
बड़ी मशहूर गायिका है शारदा सिन्हा जिनके गानों के बिना छठ का पर्व अधूरा है.. ये गाना सुनिए,आपको भावुक ज़रूर करेगा
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