क्या आप भी इस "और बताओ?" से परेशान है? मैं तो हूँ. आज कल जिंदगी "और बताओ?" हो गई है. ऑफिस से घर और घर से ऑफिस के बीच कई लोगो से हैलो-हाय होता है और महज दो लाइन के बाद सामने वाले से बात करने को कुछ नहीं रह जाता. और फिर वही "और बताओ?" पता नहीं लोग और क्या जानना चाहते है! पिछले दिनों एक पुराने दोस्त से मुलाकात हुई ऑफिस में. सिर्फ २-३ सालो की जान पहचान थी हमारी और कॉलेज के बाद से कोई भी सम्पर्क नहीं था. फिर अचानक वो मिला और बात शादी बच्चो तक पहुंची. मैंने अपने बारे में बताया और उसने अपने. ५- १० मिनट की बात के बाद मैं फिर उसी एक अजीब सवाल से गुजरी जिस्मे मुझे कोफ़्त सी आने लगी है "और बताओ.." ना वो ऐसा कोई था जिसे जिंदगी की उठपटक बताई जाए और ना ऐसा जिससे ऑफिस के प्रोजेक्ट के बारे में चर्चा की जाए. तो बस "सब ठीक.." बोलकर खिसक ली मैं.
कई बार तो मामला इतना अजीब हो जाता है कि बार-बार "और बताओ?" सुनना पड़ता है. मेरे पतिदेव से लेकर सासू माँ को ये आदत है और कइयों में होती है. फ़ोन पर तो "और बताओ?" खूब चलता है बात करने वालो के बीच. हेलो के बाद बस २-३ लाइन्स की बाते और फिर वही जुलमा.."और बताओ.." एक बार तो मैंने चिढ़ कहा कुछ और नहीं है बताने को तो मुझे सामने से जवाब आया "चलो किसी की बुराई ही कर डालो.." मतलब "और बताओ.." से मिलने वाला एंटरटेनमेंट कोई जाने नहीं देना चाहता. एक मुसीबत और हो जाती है जब थोड़ा ज्यादा बोलने वाला "और बताओ.." का जवाब ना दे. मेरी छोटी बहन इस समस्या से दो चार होती रहती है आये दिन. वो काफी हसमुख है और इसी वजह से लोग उससे बात करना पसंद भी करते है. पर ऐसे भी कुछ लोग होते है जो टाइम पास करने के लिए फ़ोन करते है और वही सवाल "और बताओ..". और अगर सोना (मेरी बहन) कुछ खास बातें न करे तो सामने वाला सीधे तबियत पूछने पर आ जाता है "क्या हुआ..तबियत तो ठीक है न.. कुछ बोल नहीं रही हो आज.." समझ नहीं आया वो सच में चिंतक है या मज़ाक उड़ा रहा है!
आपको याद होगा शायद एक बार कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने भी इस "और बताओ.." के बारे में चर्चा की थी. कई लोग तो ये सवाल खुद करके उसका जवाब भी खुद ही दे लेते है "और बताओ.. सब बढ़िया.." सामने वाले के पाले में गेंद गई पर गोल किसी और के खाते में. कुछ लोग तो चैटिंग में भी और बताओ कहे बिना मानते नहीं. इससे भी खतरनाक स्थिति तब सामने आती है जब दूसरा इंसान कह दे.. 'और कुछ खास नहीं, तुम बताओ?' इसका जवाब आखिर क्या दिया जाए?
मैं कुछ ही लोगो के "और बताओ.." का जवाब देना पसंद करती हूँ. जैसे मेरी अम्मा. हर दूसरे तीसरे दिन उनसे फ़ोन पर बात करती हूँ. और उनके मुँह से "और बताओ.." सच में बड़ा अच्छा लगता है .जैसे ही वो "और बताओ.." बोलती है मैं दिन की सारी घटनाये याद करने लगती हूँ. उनमे से छांट कर कुछ एक बाते बताती हूँ उनको जिससे हमारी बातें थोड़ी लम्बी जा सके. फिर वो अपने ३ साल के नाती के बारे में पूछती है और मैं उसकी शरारते उन्हें बताती हूँ. मन को एक अजीब सी ख़ुशी मिलती है उनको हसता हुआ सुन कर. हम दुनिया भर की बातें कर डालते है. खाने में क्या बना है से लेकर, किसको बेटा हुआ.. किसकी शादी पक्की हुई और किसके यहाँ नया सामान आया. मज़ा आता है उनसे बात करके. मैं भी बीच बीच में बोल ही जाती हूँ "और बताओ.."
वही मेरी चचेरी बहन की सास भी बात बात पर "और बताओ.." खूब बोलती है. हर एक लाइन के बाद "और.." जैसे मानो अपना कुछ राज नहीं देना चाहती पर सामने वाले का सब कुछ उगलवाना चाहती है. अब क्या बताओ उनसे! मन तो करता है कह दे "आंटी जी और कुछ नहीं है बताने को, आप अपने गले को आराम दीजिए.. और और करके थक गया होगा.." पर उफ़ ये बचपन से सिखाई गई तहज़ीब ऐसा करने नहीं देती.
कुछ चीजे मैंने सोची है इस "और बताओ.." के जवाब में . जरा गौर फरमाइए हो सकता है आपके काम भी आ जाए..
१. एक मिनट एक मिनट.. एक जरूरी कॉल आ रही है पीछे से.. अभी बस उसे निपटा कर आपसे बात करती हूँ.. (सारी सासू माओ के लिए)
२. नोटबंदी और GST के बारे में क्या सोचना है तुम्हारा? (ओवर स्मार्ट दोस्तों के लिए)
३. जिंदगी झंड हुई पड़ी है.. और क्या बताऊं .. (करीबी दोस्तों के लिए जिन्हे आप चिढ़ाना नहीं चाहते)
४. और GST समझ आ गया..? (दुकानों में बैठने वाले पकाऊ जानने वालो के लिए)
५. किम जॉन सही कर रहा है या गलत? (ऑफिस के बुद्धिजीवियों के लिए)
६. अरे, आपको ही याद कर रही थी (बस माँ के लिए)
कई बार तो मामला इतना अजीब हो जाता है कि बार-बार "और बताओ?" सुनना पड़ता है. मेरे पतिदेव से लेकर सासू माँ को ये आदत है और कइयों में होती है. फ़ोन पर तो "और बताओ?" खूब चलता है बात करने वालो के बीच. हेलो के बाद बस २-३ लाइन्स की बाते और फिर वही जुलमा.."और बताओ.." एक बार तो मैंने चिढ़ कहा कुछ और नहीं है बताने को तो मुझे सामने से जवाब आया "चलो किसी की बुराई ही कर डालो.." मतलब "और बताओ.." से मिलने वाला एंटरटेनमेंट कोई जाने नहीं देना चाहता. एक मुसीबत और हो जाती है जब थोड़ा ज्यादा बोलने वाला "और बताओ.." का जवाब ना दे. मेरी छोटी बहन इस समस्या से दो चार होती रहती है आये दिन. वो काफी हसमुख है और इसी वजह से लोग उससे बात करना पसंद भी करते है. पर ऐसे भी कुछ लोग होते है जो टाइम पास करने के लिए फ़ोन करते है और वही सवाल "और बताओ..". और अगर सोना (मेरी बहन) कुछ खास बातें न करे तो सामने वाला सीधे तबियत पूछने पर आ जाता है "क्या हुआ..तबियत तो ठीक है न.. कुछ बोल नहीं रही हो आज.." समझ नहीं आया वो सच में चिंतक है या मज़ाक उड़ा रहा है!
आपको याद होगा शायद एक बार कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने भी इस "और बताओ.." के बारे में चर्चा की थी. कई लोग तो ये सवाल खुद करके उसका जवाब भी खुद ही दे लेते है "और बताओ.. सब बढ़िया.." सामने वाले के पाले में गेंद गई पर गोल किसी और के खाते में. कुछ लोग तो चैटिंग में भी और बताओ कहे बिना मानते नहीं. इससे भी खतरनाक स्थिति तब सामने आती है जब दूसरा इंसान कह दे.. 'और कुछ खास नहीं, तुम बताओ?' इसका जवाब आखिर क्या दिया जाए?
मैं कुछ ही लोगो के "और बताओ.." का जवाब देना पसंद करती हूँ. जैसे मेरी अम्मा. हर दूसरे तीसरे दिन उनसे फ़ोन पर बात करती हूँ. और उनके मुँह से "और बताओ.." सच में बड़ा अच्छा लगता है .जैसे ही वो "और बताओ.." बोलती है मैं दिन की सारी घटनाये याद करने लगती हूँ. उनमे से छांट कर कुछ एक बाते बताती हूँ उनको जिससे हमारी बातें थोड़ी लम्बी जा सके. फिर वो अपने ३ साल के नाती के बारे में पूछती है और मैं उसकी शरारते उन्हें बताती हूँ. मन को एक अजीब सी ख़ुशी मिलती है उनको हसता हुआ सुन कर. हम दुनिया भर की बातें कर डालते है. खाने में क्या बना है से लेकर, किसको बेटा हुआ.. किसकी शादी पक्की हुई और किसके यहाँ नया सामान आया. मज़ा आता है उनसे बात करके. मैं भी बीच बीच में बोल ही जाती हूँ "और बताओ.."
वही मेरी चचेरी बहन की सास भी बात बात पर "और बताओ.." खूब बोलती है. हर एक लाइन के बाद "और.." जैसे मानो अपना कुछ राज नहीं देना चाहती पर सामने वाले का सब कुछ उगलवाना चाहती है. अब क्या बताओ उनसे! मन तो करता है कह दे "आंटी जी और कुछ नहीं है बताने को, आप अपने गले को आराम दीजिए.. और और करके थक गया होगा.." पर उफ़ ये बचपन से सिखाई गई तहज़ीब ऐसा करने नहीं देती.
कुछ चीजे मैंने सोची है इस "और बताओ.." के जवाब में . जरा गौर फरमाइए हो सकता है आपके काम भी आ जाए..
१. एक मिनट एक मिनट.. एक जरूरी कॉल आ रही है पीछे से.. अभी बस उसे निपटा कर आपसे बात करती हूँ.. (सारी सासू माओ के लिए)
२. नोटबंदी और GST के बारे में क्या सोचना है तुम्हारा? (ओवर स्मार्ट दोस्तों के लिए)
३. जिंदगी झंड हुई पड़ी है.. और क्या बताऊं .. (करीबी दोस्तों के लिए जिन्हे आप चिढ़ाना नहीं चाहते)
४. और GST समझ आ गया..? (दुकानों में बैठने वाले पकाऊ जानने वालो के लिए)
५. किम जॉन सही कर रहा है या गलत? (ऑफिस के बुद्धिजीवियों के लिए)
६. अरे, आपको ही याद कर रही थी (बस माँ के लिए)
Loved reading this...after a long long time I have read something in Hindi..too good :)
ReplyDeleteI am glad that you liked the blog. Hindi ka apna maza hai :)
ReplyDelete