'बुरा ना मानो होली है..' कुछ ऐसी ही बातो से शुरू होने वाला त्यौहार बनाया ही इसलिए गया होगा कि लोगो के रिश्तो में मजबूती आए. जो दूर है, खिंचे खिंचे है वो पास आ सके और बिना बुरा माने एक दूसरे को रंग लगा सके. होली सिर्फ त्योहार नहीं है.. यह बसंत के आने की ख़ुशी का व प्रेम-प्रणव के चिंतन का मूल है और धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है. यह रंगों का, हास-परिहास का भी पर्व है. यह वह त्योहार है, जिसमें लोग हर सोच से बिल्कुल परे स्वयं को स्वतंत्र महसूस करते हैं. हर तरह का गुस्सा और घृणा 'बुरा न मानो होली है' की ऊंची आवाज में डूबकर घुल-मिल जाता है. इसलिए शायद 'बुरा न मानो होली' है की करतल ध्वनि होली की लंबी परम्परा का हिस्सा है।
पर मुझे ये सब बातें काफी सालों के बाद समझ आई. पहले तो लगता था कि ये 'बुरा न मानो होली है' को लोग जरुरत से ज्यादा ही उपयोग करते है. ये लाइन मुझे हमेशा से ही बुरी मंशा वाले लोगो का हथियार लगती थी. किसी को भी 'बुरा न मानो होली है' कहा और रंग लगा दिया. कहते हैं होली 'मदनोत्सव' है. मतलब 'काम' का उत्सव. ये वो काम नही है जो आप समझ रहे है. ये कामदेव वाला काम है और होली को इसलिए ही मदनोत्सव कहा गया क्योंकि इस दिन काम को भी अपना रूप दिखाने की छूट होती है. पर काम को भी मर्यादा में ही रहना चाहिए. छूट है तो इसका मतलब ये नही की कोई कुछ भी करे. जब तक वह मर्यादा में रहता है, उसे भगवान की विभूति माना जाता है. जब वह मर्यादा छोड़ देता है तो आत्मघाती बन जाता है, और शिव का तीसरा नेत्र (विवेक) उसे भस्म कर देता है. भगवान शिव द्वारा किया गया काम-संहार हमें यही समझाता है.
अभी कुछ दिनों पहले ही टीवी में एक विज्ञापन देखा. एक बिखरे बालो वाला लड़का जो पूरी तरह से होली की मस्ती में है एक डरी-सहमी सी लड़की को जबरदस्ती गुलाल लगता है वो भी 'बुरा न मानो होली है' बोलकर. लड़की पहले तो चुप रहती है पर अगले ही पल लड़के को करार जवाब भी देती है. आगे की लाइन्स बता कर मैं विज्ञापन के सामान का प्रचार नही करना चाहती पर एक बात जो मुझे पसंद आई कि विज्ञापन की ख़त्म होने से पहले एक सन्देश दिया गया है. "होली को मनमानी करने का जरिया ना बनाए..मर्यादा में रहे.." वैसे कमाल की बात है कि ऐसे बातों को विज्ञापन के जरिये लोगो तक पहुचाया जा रहा है. पर क्या कर सकते है समय के साथ कुछ लोगो का स्तर इतना गिर गया है कि उन्हें ये भी समझना पड़ रहा है कि मर्यादा में रहो! रही सही कसर फिल्मो के होली वालो गानों ने पूरी कर दी. एक अज़ीब सा भद्दा पन है सब नए गानों में. होली की मस्ती सीमाएं लाँघ रही है और कुछ में तो लड़कियों को जरूरत से ज्यादा छूट देते दिखाया गया है.
सारे ऐसे ब्लोग्स और पोस्ट्स जो होली को सुरक्षित तरीके से मानाने के टिप्स दे रहे है सबमे एक ऐसा पॉइंट जरूर है. "अपने बच्चो पर नज़र रखे, कही उन्हें कोई परेशान ना कर रहा हो.." ," होली ऐसे लोगो के बीच मनाए जो आपकी मर्ज़ी का भी ख्याल रख सके.." मतलब एकदम साफ है. आज कल के समय में जब हमें हर तरह के शोषण के खिलाफ कानून बनाना पड़ रहा है, मुझे डर है एक दिन ऐसा भी ना आ जाए कि होली के लिए भी नियम बनने लगे. खैर, होली त्यौहार ही है हर तरह का मैल साफ करने का, मन का मैल भी! धो डालिये इस होली मन के मैल को और जम कर मनाइये होली का पर्व जो सामाजिक समरसता, भाईचारा, स्नेह, प्रेम, उन्माद, सांस्कृतिक सामंजस्य का प्रतीक है.
होली की शुभकामनाए :)
पर मुझे ये सब बातें काफी सालों के बाद समझ आई. पहले तो लगता था कि ये 'बुरा न मानो होली है' को लोग जरुरत से ज्यादा ही उपयोग करते है. ये लाइन मुझे हमेशा से ही बुरी मंशा वाले लोगो का हथियार लगती थी. किसी को भी 'बुरा न मानो होली है' कहा और रंग लगा दिया. कहते हैं होली 'मदनोत्सव' है. मतलब 'काम' का उत्सव. ये वो काम नही है जो आप समझ रहे है. ये कामदेव वाला काम है और होली को इसलिए ही मदनोत्सव कहा गया क्योंकि इस दिन काम को भी अपना रूप दिखाने की छूट होती है. पर काम को भी मर्यादा में ही रहना चाहिए. छूट है तो इसका मतलब ये नही की कोई कुछ भी करे. जब तक वह मर्यादा में रहता है, उसे भगवान की विभूति माना जाता है. जब वह मर्यादा छोड़ देता है तो आत्मघाती बन जाता है, और शिव का तीसरा नेत्र (विवेक) उसे भस्म कर देता है. भगवान शिव द्वारा किया गया काम-संहार हमें यही समझाता है.
अभी कुछ दिनों पहले ही टीवी में एक विज्ञापन देखा. एक बिखरे बालो वाला लड़का जो पूरी तरह से होली की मस्ती में है एक डरी-सहमी सी लड़की को जबरदस्ती गुलाल लगता है वो भी 'बुरा न मानो होली है' बोलकर. लड़की पहले तो चुप रहती है पर अगले ही पल लड़के को करार जवाब भी देती है. आगे की लाइन्स बता कर मैं विज्ञापन के सामान का प्रचार नही करना चाहती पर एक बात जो मुझे पसंद आई कि विज्ञापन की ख़त्म होने से पहले एक सन्देश दिया गया है. "होली को मनमानी करने का जरिया ना बनाए..मर्यादा में रहे.." वैसे कमाल की बात है कि ऐसे बातों को विज्ञापन के जरिये लोगो तक पहुचाया जा रहा है. पर क्या कर सकते है समय के साथ कुछ लोगो का स्तर इतना गिर गया है कि उन्हें ये भी समझना पड़ रहा है कि मर्यादा में रहो! रही सही कसर फिल्मो के होली वालो गानों ने पूरी कर दी. एक अज़ीब सा भद्दा पन है सब नए गानों में. होली की मस्ती सीमाएं लाँघ रही है और कुछ में तो लड़कियों को जरूरत से ज्यादा छूट देते दिखाया गया है.
सारे ऐसे ब्लोग्स और पोस्ट्स जो होली को सुरक्षित तरीके से मानाने के टिप्स दे रहे है सबमे एक ऐसा पॉइंट जरूर है. "अपने बच्चो पर नज़र रखे, कही उन्हें कोई परेशान ना कर रहा हो.." ," होली ऐसे लोगो के बीच मनाए जो आपकी मर्ज़ी का भी ख्याल रख सके.." मतलब एकदम साफ है. आज कल के समय में जब हमें हर तरह के शोषण के खिलाफ कानून बनाना पड़ रहा है, मुझे डर है एक दिन ऐसा भी ना आ जाए कि होली के लिए भी नियम बनने लगे. खैर, होली त्यौहार ही है हर तरह का मैल साफ करने का, मन का मैल भी! धो डालिये इस होली मन के मैल को और जम कर मनाइये होली का पर्व जो सामाजिक समरसता, भाईचारा, स्नेह, प्रेम, उन्माद, सांस्कृतिक सामंजस्य का प्रतीक है.
होली की शुभकामनाए :)
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