आम बजट आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किआ और उत्सुकता में मैंने पूरा सेशन सुना. मुझे इस बार का बजट महिलाओ के हिसाब से लगभग ठीक लगा. बजट के बारे में पढ़ते पढ़ते मुझे कुछ ऐसी चीजे भी मिली जिन्होंने मुझे काफी हँसाया. जैसे बजट पेश करने की शुरुआत अरुण जेटली जी ने एक शायरी से की :
“इस मोड़ पर ना घबरा कर थम जाइये आप...
जो बात नई है उसे अपनाइए आप..
डरते हैं नई राह पर चलने से क्यों..
हम आगे-आगे चलते हैं आइए आप ”
ऑफिस में लोग बेसब्री से टैक्स को लेकर होने वाले बदलाव का इंतज़ार कर रहे थे और उसके बारे में बातें कर रहे थे. बजट पर होने वाली कोई भी बात टैक्स की चर्चा के बिना अधूरी रहती है. सरकार जनता पर टैक्स लगाती है जिससे सरकार की जेब में पैसा आता है और उसी से देश चलता है. वो अलग बात है कि अभी के आकड़ो के हिसाब से बहुत कम लोग टैक्स दे रहे है अपने देश में. व्यवस्था चलाने के लिए पैसा जुटाने की यह तरीका बहुत पुराना है जिसका इतिहास खंगालने पर कई मजेदार चीजें मिलती हैं.
इंग्लैंड के सम्राट हेनरी अष्टम ने १५३५ में दाढ़ी पर टैक्स लगा दिया था. यह टैक्स आदमी की सामाजिक हैसियत के हिसाब से लिया जाता था. उसके बाद उनकी बेटी एलिजाबेथ प्रथम ने नियम बनाया कि दो हफ्ते से बड़ी हर दाढ़ी पर टैक्स लिया जाएगा. रूस के शासक पीटर द ग्रेट ने भी दाढ़ी पर टैक्स लगाया था. तब रूस में दाढ़ी टैक्स चुकाने वालों को एक टोकन मिलता था जिसे उन्हें हर समय साथ लेकर चलना पड़ता था. अगर आज के समय में ऐसा टैक्स आ जाए तो मेरे घर की हालत बिगड़ जाएगी. मेरे पतिदेव को दाढ़ी रखने का शौक चढ़ा है जो मुझे बिलकुल पसंद नही. पर शायद ऐसे किसी टैक्स से उनकी आदत जरूर बदल सकती है जो मेरे बार बार कहने से भी टस से मस नही हो रही. कही जगह टैक्स वसूली के वक्त कोई घर से गायब मिले तो उसका टैक्स पड़ोसी को देना होता था. यानी आम लोगों के लिए एक काम यह भी बढ़ गया था कि टैक्स वसूली के वक्त वे अपने पड़ोसियों पर नजर रखें.
1696 में इंग्लैंड और वेल्स के राजा विलियम तृतीय ने खिड़कियों पर टैक्स लगाया था. उस समय राजा के खजाने की हालत खस्ता चल रही थी तो उन्होंने टैक्स के जरिये उसे सुधारने का तरीका निकाला. माना गया कि आदमी के पास अगर पैसा ज्यादा है तो घर भी बड़ा होगा और इसलिए खिड़कियां भी ज्यादा होंगी. तो टैक्स खिड़कियों की संख्या के हिसाब से लगाया गया. एक और मज़ेदार टैक्स नौवीं सदी में रोम के सम्राट ऑगस्टस ने लगाया. बैचलर टैक्स. इसका मकसद शादी को बढ़ावा देना था. ऑगस्टस ने उन शादीशुदा जोड़ों पर भी टैक्स लगाया जिनके बच्चे नहीं थे. यह 20 से 60 साल की उम्र तक के लोगों पर लागू होता था.
पर आज के समय में भी कुछ अज़ीब टैक्स है जैसे कि फैट टैक्स जो डेनमार्क और हंगरी जैसे देशों ने चीज, बटर और पेस्ट्री जैसी खाद्य सामग्री पर लगा रखा है. इस टैक्स के दायरे में वे सभी चीजें आती हैं जिनमें २.३% से ज्यादा सेचुरेटेड फैट है. इसका मकसद लोगो को ख़राब फैट से होने वाली बीमारियों से दूर रखना है. टैक्स की वजह से ऐसी चीजे महंगी होती है और लोग उन्हें कम खरीदते है. पिछले साल केरल सरकार ने भी बर्गर, पिज़्ज़ा और कोल्ड ड्रिंक्स पर फैक्स टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा था. १४.५% का टैक्स लोगो को अच्छी आदतों की तरफ ले जाने का एक प्रयास बताया गया. मेरे हिसाब से फैक्स टैक्स एक अच्छा रास्ता है लोगो में खाने पीने की आदतों को सही करने के लिए. जो भी हो, मैं तो चाहती हूं कि आदमियो और लड़को के रात में निकलने पर भी टैक्स लेना चाहिए. शायद इसी डर वो घर में रहे और बाहर सड़को पर लडकिया सुरक्षित महसूस कर सके. आप कैसे टैक्स चाहते है अपने देश में जो मज़ेदार हो?
रोचक पोस्ट शिप्रा जी ! अजीबो-गरीब टैक्स के पीछे कुछ एक क्रूर घटना भी होती है विस्तृत जानकारी के लिए श्री दिग्विजय जी की एक पोस्ट का लिंक है http://digvijay4.blogspot.in/2016/08/blog-post.html अवश्य पढ़े।
ReplyDeleteमेरी पोस्ट का लिंक : http://rakeshkirachanay.blogspot.in/